Gaya Pitru Paksha Mela 2025
गया पितृपक्ष मेला: भारतीय संस्कृति में पूर्वजों का सम्मान करना और उन्हें याद करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसे पितृ पक्ष कहा जाता है, जो हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक लगभग 15 दिनों तक मनाया जाता है। यह समय अपने पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है। शास्त्रों के अनुसार, संतान का यह पवित्र कर्तव्य है कि वह अपने पूर्वजों को याद करे और श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान करे। पितरों की तृप्ति से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
गया का पितृपक्ष मेला: विशेष महत्व गया का पितृपक्ष मेला क्यों है खास
गया में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने भी यहीं अपने पिता का पिंडदान किया था। इस परंपरा के चलते यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
प्रशासन की तैयारियां प्रशासन की व्यवस्थाएं
गया में श्राद्ध और तर्पण के मेले के लिए प्रशासन ने सभी व्यवस्थाएं की हैं। मेला क्षेत्र को 43 जोनों में बांटा गया है, जहां साफ-सफाई, बिजली और पानी की व्यवस्था की गई है। अधिकारी 24 घंटे तैनात रहते हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।
श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की व्यवस्था धर्मशालाओं और आश्रमों की सुविधा
गया में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं और आश्रम हैं, जो कम खर्च में कमरे उपलब्ध कराते हैं। इस बार सरकार को 134 घर और 525 धर्मशालाओं से आवेदन मिले हैं।
विष्णुपद मंदिर का महत्व पिंडदान के लिए विष्णुपद मंदिर
गया का विष्णुपद मंदिर पवित्रता का प्रतीक है, जहां पिंडदान की परंपरा प्रचलित है। यहां प्रशासन ने 24 घंटे सेवाएं देने वाला कंट्रोल रूम बनाया है।
गांधी मैदान की टेंट सिटी गांधी मैदान में टेंट सिटी
जिला प्रशासन ने गांधी मैदान में टेंट सिटी तैयार की है, जहां श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था की गई है।
गया कैसे पहुंचें गया पहुंचने के तरीके
गया पहुंचना अब आसान हो गया है। ट्रेन से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गया जंक्शन सबसे उपयुक्त है। हवाई यात्रा के लिए बोधगया इंटरनेशनल एयरपोर्ट उपलब्ध है।
पिंडदान के प्रमुख स्थल गया में पिंडदान के स्थल
पिंडदान के लिए विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी का घाट प्रमुख स्थल हैं। यहां श्रद्धालु सुबह-सुबह तर्पण करते हैं, जिससे वातावरण आध्यात्मिक हो जाता है।
बजट के अनुसार ठहरने के विकल्प ठहरने की सुविधाएं
गया में हर बजट के अनुसार ठहरने की व्यवस्था है। भारत सेवाश्रम संघ में 500 से 1000 रुपये तक के कमरे उपलब्ध हैं।
पिंडदान का खर्च पिंडदान का खर्च
पिंडदान का खर्च व्यक्ति की इच्छा और सामर्थ्य पर निर्भर करता है। पंडित से पहले ही शुल्क तय कर लेना चाहिए।
यात्रियों के लिए सुझाव यात्रियों के लिए सुझाव
गया आने वाले श्रद्धालुओं को पंजीकृत पंडितों से संपर्क करना चाहिए और प्रशासन द्वारा बनाए गए कंट्रोल रूम का उपयोग करना चाहिए।
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